कविता

पन्ना धाय

कौन नहीं जानता ?
किसे नहीं पता ?
पन्ना धाय की विशालता को
जिसकी विशालता के आगे
हिमालय भी छोटा हो गया।
पन्ना के त्याग के आगे
धरती आकाश क्या
ब्रह्मांड तक हिल गया।
ममता ने जिसे बेजार कर दिया,
हौसले का पत्थर
सीने पर रख लिया ।
जाने कैसे उसमें?
इतना साहस आ गया,
उदयसिंह की जान बचाने की खातिर
अपनी ही कोख उजाड़ लिया।
त्याग की ऐसी मिसाल
न पहले सुनी गई
और न ही सुनी जायेगी,
पन्ना के त्याग की गाथा
सदियों सदियों तक
यूं ही सुनाई जायेगी।
पत्थर से जिगर वाले की भी
बार बार आँख भर आयेगी ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921