बड़कू पावरहाउस और विश्व सुंदरियाँ
बड़कू पावरहाउस
‘सूरज’ के सामने
‘दीये’ की क्या औकात ?
नौ मिनट बत्ती गुल,
कोरोना को चटाएं धूल !
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जब ‘विज्ञान’
कुछ नहीं कर पा रहा है,
तब ‘दर्शन’ ही आकर
‘कोरोना’ से
निजात पाने का
ढाँढस दे रहा है !
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ये ‘विषाणु’
सभी ‘आतंकवादियों’ के
बाप, दादे, परदादे,
छरदादे, धरदादे,
भड़कदादे, हरकदादे,
सड़कदादे
और हरमजादे से भी
बड़े लाट सा’ब हैं !
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और तीन हिंदी उपन्यास
पढ़ लिए
यानी 14 दिनों में 33 खत्म !
आज से
‘सुरेंद्र मोहन पाठक’ की
कॉनमैन,
कागज की नाव,
50-50,
काँपता शहर….शुरू !
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राजकुमार सिद्धार्थ ने
पुत्र के जन्म पर
उन्हें राहु व आफ़त कहा,
इसी से नाम पड़ा- राहुल !
क्योंकि इनसे उनके
‘बुद्ध’ बनने में अड़चन था!
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जैन जी कहिन-
हॉर्न धीरे से बजा !
सो रहे हैं ‘राजा’ !
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गाँव में
इतनी
सुंदरियाँ रहती हैं,
फिर भी
हमसब
मिस इंडिया,
मिस वर्ल्ड,
मिस यूनिवर्स की ओर
टकटकी लगाए रहते हैं !