सामाजिक

कोरोना : डर के आगे जीत है, हम जीतेंगे

पिछले एक साल से देश-दुनिया पर एक अदृश्य वायरस कोविड -19 ने डर जमाया हुआ है। इस बार वह नये और भयंकर विनाशकारी रूप में आया है।बच्चे, वयस्क और बूढ़े सभी भयग्रस्त हैं, पस्त हैं। ऐसा कोई घर-परिवार नहीं बचा जहां कोई बिहार न हो। बुखार, खांसी, सीने में जकड़न, सांस लेने में परेशानी जैसे लक्षण देखते ही लोग परेशान हो रहे हैं। और एक अज्ञात डर उनके दिलों में गहरे बैठ रहा है कि अब क्या होगा? बाहर अस्पतालों में भीड़ है, बेड नहीं मिल रहे तो कहीं आक्सीजन का अभाव है। रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मारामारी है। लोग एडवांस में इंजेक्शन और आक्सीजन बॉटल का इंतजाम कर रहे हैं। इस डर का फायदा उठाकर मुनाफाखोर चांदी काट रहे हैं। पिछले परिवेश में एक हाहाकार मचा हुआ है। कहीं कोई धैर्य, संतुष्टि, निर्भयता दिख ही नहीं रही। ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ नष्ट होने वाला है।
       स्मरण रखना होगा कि आज से पहले भी हम अपनी ज़िंदगी मे कई बार बीमार हुए हैं पर डॉक्टर से दवा लेकर या घरेलू नुस्खों से ठीक हो गये हैं। आज हमारे देश मे कोरोना से हज़ारों मौतें हो रही है, कोरोना के मरीज बढ़ते ही जा रहे हैं। यह एक चिंता का विषय है। लोग घबरायें हैं।सहमे बैठे हैं। हर तरफ़ मौत का भयानक मंज़र है। श्मशानों में शव आते जा रहे हैं। दिन रात चिंताएं धधक रही हैं। बहुत मुश्किल वक़्त है। ऐसे संकट के नाज़ुक दौर में घबराने से कुछ नहीं होगा। ज़िंदा रहने का जज़्बा बाक़ी रखना है। पैनिक नहीं होना है, डरना भी नहीं हैं। कोरोना के लक्षण लगें तो भी डरें नहीं , डर पर ही क़ाबू पाना है। बदन में तेज़ दर्द भी होगा। फीवर भी होगा। कमज़ोरी बहुत हो जायेगी। फिर भी कोरोना को कुछ मत समझिये। इसे तुच्छ मानिये वरना ये हम सब पर हावी हो जाएगी। डरना नहीं है, डर ही एक मात्र ऐसी चीज़ है जो हमारी इम्युनिटी को कम कर देती है। यानी डर ज़्यादा तो इम्युनिटी कम । दिमाग़ में डर नाम की कोई चीज़ न रखें।आप निडर हो जाय तब देखियेगा आपकी इम्युनिटी उतनी ही तेज़ी से बढ़ेगी। हमारी इम्युनिटी अच्छी है तो वायरस हमला भी करेगा तो हमको पता भी नहीं चलेगा। हमें अपने आप को ये विश्वास दिलाना है कि ये वायरस हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
हमें घर पर ही रहकर योग और प्राणयाम करके पूरी तरह स्वस्थ रहना है। योग से पूरा शरीर स्वस्थ रहता है। रोग प्रतिरिधक क्षमता बढ़ती है, साथ ही श्वसन तंत्र भी मज़बूत होता है। इसके साथ-साथ घर पर सभी सदस्यों के साथ हंसते-बोलते मनोरंजन करते हुऐ दवा लेनी है। क्योंकि दवा तभी काम करती है जब उस पर आपको विश्वास हो, अन्यथा कोई ऐसी दवा नहीं जिस पर आपने विश्वास न किया हो और उसने आपको फ़ायदा दिया हो। इन सबके बीच हमारा दिमाग़ काम करता है। हमारे दिमाग़ से ही यह पूरा शरीर संचालित होता है। तो क्यों न अपने इस डर पर क़ाबू पाया जाय और स्वम्  ठीक हो जाये और चारों ओर नज़र घुमाइये कि लोग क्यों मर रहे हैं। शायद वो कोरोना से डर रहे हैं। हमें अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। टेंशन नहीं लेना है। छत पर सैर करना है, खुली हवा में बैठना हैं। योग करना स्वस्थ जीवन शैली अपनानी होगी। 6-7 घण्टे की आवश्यक नींद लेनी है। रात को 10 से सुबह 5 बजे तक सोना है।पर्याप्त मात्रा में पानी पीना है। गुनगुना पानी ज़्यादा लाभकारी रहेगा। सुपाच्य पौष्टिक भोजन करना है। फलों और सब्जियों का ज़्यादा प्रयोग करना है। फ़ास्ट फ़ूड, जंक फूड, कोल्डड्रिंक, आइसक्रीम से दूर रहने में भलाई है। स्मोकिंग से दूरी हमें सांसों की पूंजी देती है। जड़ी-बूटियों का सेवन करें। नींबू , संतरे, मौसम्मी, अन्नानास का सेवन करें। गिलोय, अदरक, कालीमिर्च, तुलसी के पत्ते का काढ़ा, सुबह शाम नियमित लेना ही है। दिन भर गर्म पेय पदार्थ जैसे नीबूं की चाय ,ग्रीन टी, हल्दी का पानी, गर्म दूध, इसके साथ ही  लहसुन, अदरक, काली मिर्च की चटनी प्रयोग करने से भी वायरस को मारने में मदद मिलती है। अपने और अपने परिवार की कोरोना वायरस से सुरक्षा की ज़िम्मेदारी लें।  घर पर रहें सुरक्षित रहें।
यह दौर भी ख़त्म हो जाएगा। हर कठिनाई कुछ राह ही दिखा देती है। यह राह है सकारात्मकता की, निर्भयता की। हम कोरोना से जीतेंगे, जरूर जीतेंगे क्योंकि डर के आगे जीत है।
— आसिया फ़ारूक़ी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र