कविता

रोजगार

पहले ही
रोजगार का संकट
कम नहीं था,
ऊपर से कोरोना ने
और भी असहाय कर दिया।
किसी तरह पेट पल रहा था
उस पर भी लात मार दिया,
अब जियें या मरें
कुछ भी तो समझ नहीं आता,
माना कि जीवन जरूरी है
मगर जीवन के लिए भी तो
पेट भरना जरूरी है।
पेट भरने के लिए
रोजगार होना जरुरी है,
रोजगार होकर भी क्या होगा?
सबकुछ सामान्य रहना
सबसे जरुरी है।
तब जब रोजगार होगा,
जीवन का आधार होगा
जीवन से लगाव होगा
तब जाकर
खुशियों का संसार होगा ।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921