राजनीति

किस ओर जा रही है भारत की भावी पीढ़ी

बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद राजनीतिक हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। चुनाव के नतीजे आने के दौरान ही आरामबाग में बीजेपी कार्यालय को अज्ञात बदमाशों ने आग के हवाले कर दिया। मानों प्री प्लान हो। इसके अलावा कई इलाक़ों में पार्टी दफ़्तरों में आग और घरों में तोड़-फोड़ की। बंगाल में हो रही ये हिंसा अगर किसीके इशारों पर हो रही है तो ये इंसान की मानसिकता का घिनौना पहलू है। सियासत में दिमागी चाल से शह मात का खेल चाणक्य के ज़माने से चला आ रहा है, पर आजकल कि राजनीति खूनी खेल खेलते हो रही है।
सत्ता की लालच और कुर्सी के मोह ने इंसान को जानवरों की श्रेणी में रख दिया है। चुनाव, सत्ता, कुर्सी देश की सेवा के लिए पाने का जुनून होना चाहिए नांकि किसीको येन केन प्रकारेण हराने की गंदी चाल। हारने पर बदले की भावना पालें आम इंसान को मोहरा बनाकर देश की शांति और अखंडता की धज्जियां उड़ाते कातिलाना चाल चलना कहाँ कि समझदारी है।
आज एक तरफ़ देश इतनी बड़ी महामारी से जूझ रहा है, हर सर पर मौत मंडरा रही है ऐसे में सत्ता के बाशिंदों को परिस्थिति संभालनी चाहिए, उसके बदले हिंसा फैलाने का काम कर रहे है।
आम इंसान को दारु की बोतल और चंद रुपयों की लालच देकर हमले और दंगा करवाने वालें क्या साबित करना चाहते हैं  ? क्या देश उनका नहीं, देश की संपत्ति उनकी नहीं। वह लोग क्या देश की सेवा करेंगे जो सिर्फ़ सत्ता के शौक़ीन है। लोंगों को समझना चाहिए सियासती के हाथ की कठपुतली बनकर देश को बर्बादी की ओर धकेल रहे होते है। खून खराबा, आगजनी, पत्थर बाजी से देश का तो नुकसान हो रहा है साथ में जान माल का भी। और कई बार खुद हमलावर भी जान से हाथ धो बैठते है। ना परिवार के बारे में सोचते है, न देशहित में बस निकल पड़ते है अनपढ़ों की तरह हाथ में लाठी लेकर किसीके इशारे पर। किस ओर जा रही है भारत की भावी पीढ़ी ? कौन ज़िम्मेदार है ? बाइस, पच्चीस साल के लड़के जिससे देश को उम्मीदें है वह देश को उपर उठाने कि बजाय देश को जलाने वाली गतिविधियां कर रहे है।
ऐसे समय में पुलिस क्यूँ मूक बधिर सी हो जाती है ? पुलिस को हर तरह की पावर देनी चाहिए, जब जहाँ इस तरह की घटनाओं को देखें तुरंत कार्रवाई करके आवारा तत्वों के खिलाफ़ कड़ी कारवाई करने की सत्ता होनी चाहिए। इंसानी दिमाग अब तेजाबी फैक्ट्री होता जा रहा है, आजकल की सरकार आवाम की सेवा के लिए नहीं बल्कि अपना उल्लू सीधा करने के लिए चुनाव लड़ती है। और प्रजा भी गंवारों की तरह सरकार का मोहरा बनकर हिंसा पर उतर आती है, और देश को बर्बादी की कगार पर लाकर खड़ा करती है।
सोचो, समझो अपने दिमाग का इस्तेमाल करो फिर किसीकी बातों में आकर देश को बर्बाद करो। देश की सेवा न कर सको मत करो कम से कम देश में शांति बनाए रखो वही  सबसे बड़ी सेवा होगी।
— भावना ठाकर

*भावना ठाकर

बेंगलोर