सामाजिक

कोरोना वेक्सीन लगाने में आगे आएँ

कोरोना की रफ्तार से बढ़ते संक्रमण की दर को कम करने हेतु बाजारों में चालान होने की प्रक्रिया के बावजूद कई लोग मास्क नही लगा रहे और ना ही दो गज की दूरी का पालन कर रहे है।इससे कोविड के नियमों का उल्लंघन हो रहा है।कई अंचल में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने के बाद भी लोग लापरवाह है।बडे शहरों में सैकड़ों की संख्या में सेंपल लिए जारहे है।शीघ्र रिपोर्ट और इलाज हेतु टीकाकरण हेतु ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रों में शिविर स्थापित किए जाए।इसके अलावा वार्ड नुसार जिसप्रकार पल्स पोलियो अभियान जैसे घरों घर जाकर  टीकाकरण अभियान चलाया जाए तो संक्रमण की दर में शीघ्र कमी आएगी।यदि ऐसा अभियान नही चलाया तो भविष्य के राष्ट्रीय अभियान,धार्मिक, सामाजिक कार्यक्रम  प्रभावित होंगे।रोजगार,शिक्षा आदि पहले से ही पिछड़ चुके हैं। बाहर घूमने ,भीड़ वाले स्थानों पर जाने से बचे तो संक्रमण की चेन की तोड़ कर अन्य को संक्रमण के प्रभाव से बचा कर पुण्य का कार्य कर सकते है।प्रशासन की बात माने, चिकित्सा अमला दिन रात संक्रमण पीड़ितों के इलाज और उनके स्वास्थ्य सेवा में जुटा हुआ है।कम से कम उनकी सेवा का तो सम्मान करें।ज्यादा से ज्यादा घर पर रह कर स्वयं के शरीर को संक्रमण होने से बचाए।इन सबकेअलाावा वेेेक्सीन लगाना सुनिश्चित करें।भविष्य में आने वाली चुनोतियो से मुकाबला कर सकते है।एक बात का ध्यान रखना आवश्यक है कोरोना संक्रमण काल मे धूम्रपान नही करना चाहिए।कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए नाक,मुँह से रुई लगी काड़ी द्वारा सेम्पल लिए जाते है।इन सब के अलावा एक्सरे, सिटी स्केन से भी संक्रमण होने का पता जांच द्वारा किया जाता है।धूम्रपान से फेफड़े कमजोर हो जाते जिससे वे संक्रमण को रोकने में उतने प्रभावी नही होते जितने स्वस्थ फेफड़े होते है | निकोटिन भी हमारे पर्यावरण को जहरीला बनाता है।महज 8या 10 मिनट तक के परोक्ष धूम्रपान से व्यक्ति के रक्तचाप में वृद्धि, ह्रदय की धड़कनों में वृद्धि, खून की नलिकाओं में सिकुड़न,फेफड़ो पर प्रभाव होने से वे कमजोर हो जाते है।साथ ही कोरोना में ये शिघ्र प्रभावित हो जाते है।जिससे संक्रमण का स्तर बढ़ जाता है।धूम्रपान से फेफड़ो पर घातक प्रभाव पड़ता है। धूम्रपान का धुँआ पर्यावरण औऱ इंसान की सेहत बिगाड़ रहा है।खुशहाल जिंदगी जीने के लिए उत्पाद पर लिखी चेतावनी को भी गंभीरता से लेना होगा।ताकि स्वच्छ पर्यावरण के साथ फेफड़ों पर संक्रमण हावी ना हो पाए। इन सबके अलावा ये भी बात देखने मे आई कि कोरोना संक्रमित परिवारों को भोजन उपलब्ध कराने हेतु लोग आगे आ रहे है।इलाज में अधिक खर्च होने के कारण परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ जाने से भोजन की  पुनीत समाज सेवा का कार्य कर रहे है।जो कि प्रशंसनीय कार्य है।ठीक उसी तरह समाज सेवी लोग एवं समिति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर जिन सुविधाओं की आवश्यकता है वहाँ पर आवश्यक सामग्री भेंट कर रहे है।मानवसेवा के ऐसे उदाहरण अब हर गाँव, शहरों में देखने को मिल रहे है।कई लोग अस्पताल तक ले जाने में अपनी भूमिका निभा रहे है।सहयोग और समर्पण भाव ने कई पीड़ितों एवं परिजनों के मन को शांति प्रदान कर फिक्र,तनाव को कम किया साथ ही रोग प्रतिरोध शक्ति बढ़ाने वाले अभियान जैसे योग,आर्युवैदिक नुस्खे का मार्गदर्शन दिया। कोरोना गाइड लाइन का पालन,चिकित्सा सुविधा,मानव सेवा आदि से इंसान जल्द संक्रमण से मुक्त होकर स्वस्थ्यता का लाभ प्राप्त कर सकता है।
— संजय वर्मा “दृष्टि”

*संजय वर्मा 'दृष्टि'

पूरा नाम:- संजय वर्मा "दॄष्टि " 2-पिता का नाम:- श्री शांतीलालजी वर्मा 3-वर्तमान/स्थायी पता "-125 शहीद भगत सिंग मार्ग मनावर जिला -धार ( म प्र ) 454446 4-फोन नं/वाटस एप नं/ई मेल:- 07294 233656 /9893070756 /antriksh.sanjay@gmail.com 5-शिक्षा/जन्म तिथि- आय टी आय / 2-5-1962 (उज्जैन ) 6-व्यवसाय:- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग ) 7-प्रकाशन विवरण .प्रकाशन - देश -विदेश की विभिन्न पत्र -पत्रिकाओं में रचनाएँ व् समाचार पत्रों में निरंतर रचनाओं और पत्र का प्रकाशन ,प्रकाशित काव्य कृति "दरवाजे पर दस्तक " खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के 65 रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान-2015 /अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित -संस्थाओं से सम्बद्धता ):-शब्दप्रवाह उज्जैन ,यशधारा - धार, लघूकथा संस्था जबलपुर में उप संपादक -काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ :-शगुन काव्य मंच