कविता

कसक

एक हसीं ख्वाब हो तुम,
खास एहसास हो तुम,
नही हो पास मेरे तुम,
फिर भी मेरे हो तुम,

साथ हँसीं था हमारा ,
चार दिन का था ये माना
पर हर पल को हमने,
जी भर कर जिया,

तुम थे आसमां का चांद,
श्वेत ध्वल उजले से,
देख कर मोहित हो कोई भी,
ऐसा सलोना रूप है तुम्हारा,

मैं थी एक चाहने वाली,
जो साथ तुम्हारा चाहती थी,
देख कर मनमोहन छवि
बरबस ही खिंची जाती थी

मुस्कान आती नही लबों पर,
तुम्हारे कभी भी,
एक रोब था ,नूर था चेहरे पर,
बस उसी रोब, नूर पर,
फिदा मैं हो गई,
मुस्कान भी ले आई ,
तेरे लबों पर एक दिन,

तुमको चाहा मैंने दिल से,
पाना नही चाहती थीं,
खोना भी नही चाहती थी,
पर खो गए तुम ,
दुनिया की भीड़ में,
दिल मे एक कसक दे कर ,
तुम गए ।

डॉ सारिका औदीच्य

*डॉ. सारिका रावल औदिच्य

पिता का नाम ---- विनोद कुमार रावल जन्म स्थान --- उदयपुर राजस्थान शिक्षा----- 1 M. A. समाजशास्त्र 2 मास्टर डिप्लोमा कोर्स आर्किटेक्चर और इंटेरीर डिजाइन। 3 डिप्लोमा वास्तु शास्त्र 4 वाचस्पति वास्तु शास्त्र में चल रही है। 5 लेखन मेरा शोकियाँ है कभी लिखती हूँ कभी नहीं । बहुत सी पत्रिका, पेपर , किताब में कहानी कविता को जगह मिल गई है ।