कविता

जिंदगी

कभी धूप तो कभी छाया
कभी गुस्सा तो कभी दया
अजीबोगरीब सी है ये जिंदगी
सतरंगी है इसकी माया।
कभी रहता है विश्वास
कभी दिल रहता है उदास
कभी कुछ खो जाने का डर
कभी कुछ पा लेने की आस।
कभी मौहब्बत की मिठास
कभी बदला लेने की खटास
कभी मौत आने का रहता है डर
कभी ये जिंदगी जाती है ठहर।
छोड़ यार ये सब हाय हाय
नफरत को करों बाय बाय
जब सब रह जाएंगे धरे यहीं
तो मौहब्बत से रहे लड़े नहीं।
— मृदुल शरण