लघुकथा

जुनून के पंख (लघुकथा)

”बधाई हो शशांक!” नासा से चंद्रमोहन का फोन था.
”किस बात की सर!” शशांक का विस्मित होना स्वाभाविक था.
”शशांक, नासा के 2022 चंद्र मिशन का हिस्सा बनने के लिए तुम्हारा चयन हो गया है.” उधर से कहा गया.
”सचमुच!” वह इतना ही कह पाया.
”हां-हां सचमुच, अभी मोबाइल पर चयन-पत्र भेज रहे हैं. तैयारी शुरु कर दो. अगले सप्ताह ही तुम्हें यहां पहुंचकर प्रशिक्षण लेना होगा. चयन-पत्र के साथ टिकट की कॉपी भी संलग्न है.”
”धन्यवाद सर!” कहकर उसने फोन रखा तो मैसेज बॉक्स खनक उठा.
घर भर खुशियों से झूम उठा.
दिन भर बधाइयों का तांता लगा रहा.
रात्रि के अंधकार के साये में सपनीले-से चंद्रमा को देख शशांक के मन में बचपन का सपना साकार होने की अनुभूति झंकृत हो उठी.
ऑस्ट्रेलिया के लब्धप्रतिष्ठ विद्यालय में उसका चयन होना, रोबोट का निर्माण करना, पूरे ऑस्ट्रेलिया में उसके रोबोट का सर्वश्रेष्ठ रोबोट के रूप में चयन होना और फिर नासा जाना कितना रोमांचक था!
”छठी कक्षा का बच्चा नासा जाएगा?” सभी हैरान थे.
”उसके बाद तो नासा और शशांक का चोली-दामन का साथ हो गया था.”
नवीं कक्षा में फिर उसके रोबोट को सर्वश्रेष्ठ रोबोट की उपाधि से विभूषित किया गया था. यानी एक बार और नासा! शशांक चमत्कृत हो उठा था.
इस बार उसका रोबोट चंद्रमा से संबंधित था.
”चांद एक खगोलीय उप-ग्रह है.” रोबोट चलते-उछलते बता रहा था. ”चांद हमारे पृथ्वी के चारों तरफ घूमता रहता है. हम चांद की जिस सतह को देखते हैं, उस के ऊपर एक बड़े गड्ढे को हमेशा ही देखते हैं, उस गड्ढे का नाम उस के पास मौजूद ज्वालामुखी Maria के नाम से ही बहुत प्रसिद्ध है.” उसने ही रोबोट को प्रशिक्षित किया था.
यह सब उसने भौतिक विज्ञान में पढ़ा था. वही ज्ञान उसका रोबोट सबको दे रहा था.
”मैं आ रहा हूं चंदामामा तुम्हारे पास!” खिड़की से चंद्रमा को देखकर उसने कहा.
”आओ भानजे, लो मैं पंख भी भेज रहा हूं, चढ़कर आ जाना.” मानो चंद्रमा कह रहा था.
”पंख पर चढ़कर? क्या मैं चिड़िया हूं?”
”यह मामूली पंख नहीं हैं भानजे! यह तुम्हारे जुनून के पंख हैं.”
”जुनून के पंख! मेरे मामा जी भी यही तो कहते थे, शशांक को जुनून के पंख लग गए हैं.”
तभी उसे उषा की लालिमा झलकती-सी लगी. अरे, तो रात्रि बीत गई!
”उठ बेटा शशांक, तुझे नासा के लिए तैयारी भी तो करनी है!” उसने खुद से कहा.
जुनून के पंख सक्रिय हो गए थे.

*लीला तिवानी

लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लीला तिवानी 57, बैंक अपार्टमेंट्स, प्लॉट नं. 22, सैक्टर- 4 द्वारका, नई दिल्ली पिन कोड- 110078 मोबाइल- +91 98681 25244

5 thoughts on “जुनून के पंख (लघुकथा)

  • डाॅ विजय कुमार सिंघल

    बहिन जी प्रणाम !
    बहुत दिन बाद आपकी रचना पाकर मन प्रसन्न हो गया। आपकी रचनाओं के बिना एक खालीपन सा आ गया था पत्रिका में। अपना आशीर्वाद बनाये रखें।

    • लीला तिवानी

      आदरणीय विजय भाई जी, सादर प्रणाम. कभी-कभी ऐसा हो जाता है, समय मिलते ही अवश्य आया करेंगे. इतनी शानदार-जानदार-नायाब-अप्रतिम पत्रिका से हर कोई जुड़ना चाहेगा. ब्लॉग का संज्ञान लेने, इतने त्वरित, सार्थक व हार्दिक कामेंट के लिए हृदय से शुक्रिया और धन्यवाद.

  • लीला तिवानी

    भौतिकी विज्ञान विषय पढ़ने के निर्णय ने नासा में मेरे जुनून को आगे बढ़ाने में मदद की : नासा स्वाति मोहन

    नासा का अब तक का सबसे महत्वकांशी मार्स मिशन, मंगल ग्रह पर उतर चुका है. नासा के इस अभियान में डॉ. स्वाति मोहन नाम की एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक भी शामिल हैं.

  • लीला तिवानी

    रोबोट का हिंदी में अर्थ- यंत्रमानव है. यंत्रमानव एक विशेष मशीन है, इसी को रोबोट कहते हैं.

  • लीला तिवानी

    जुनून में आशा-निराशा का कोई स्थान नहीं है. जुनून में बस हिम्मत से, समझदारी से काम करते जाना, सबका ध्यान रखते हुए, सबको साथ लेकर चलते जाना निहित है.

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