गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

काँटों के बीच रहते गुलाबों की बात कर।
इस रात तीरगी में सितारों की बात कर।।
करके खता शरीफ बतातें हैं खुद को वो।
परदे में छुप के बैठे शरीफों की बात कर।।
हक छीनकर बतातें वो खुद को ही खुदा।
महलों में रहने वाले फरिश्तों की बात कर।
सोने को खाट है न तो पानी है पीने को।।
मजबूर जीने को तू गरीबों की बात कर।।
करतें हैं हम तलाश जिन्हें खास बज्म में।
परदें में बैठे खास नगीनों की बात कर।।
— प्रीती श्रीवास्तव

प्रीती श्रीवास्तव

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