कविता

अनाम रिश्ते

हर किसी के जीवन में
कुछ रिश्ते ऐसे भी होते हैं,
जिनके नाम नहीं होते
पर वक्त बेवक्त बने
ऐसे रिश्ते भी
बड़े काम के होते हैं।
ऐसे रिश्ते बनाए नहीं जाते
खुद बखुद कब बन जाते हैं
हम जान नहीं पाते,
लेकिन दूर भी नहीं जा पाते।
अपवादों की बात न करें तो
ऐसे रिश्तों की नींव
अचानक पड़ जाती,
रिश्तों को बलिबेदी पर
परवान चढ़ जाती है,
कुछ ही अवधि में
समय परिस्थितिवश
टूटते नहीं बिखर जाते हैं
अपनी यादें छोड़ जाते हैं,
मर्यादा लाँघते नहीं
भरोसा तोड़ते नहीं
अपनी छाप छोड़ते
अनाम रिश्तों की
अदृश्य डोर में बाँध जाते हैं
भुलाने से भी कभी
भुलाए नहीं जाते
अनाम रिश्ते दिल में
जगह बना जाते हैं।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921