लघुकथा

लघुकथा – मूर्ख

राजेश-तुम्हे पता है मोहन तुममें एक विशेष गुण है। जिससे तुम्हारा नाम पूरे मोहल्ले में छाया हुआ है

मोहन-नही मुझे नहीं पता यार तुम बताओ ना , यार मैं भीतो जानूं वो क्या है।। अपने गुणों के बारे में
राजेश-ठीक है बुरा मत मानना । मैं तुम्हें दोस्त समझकर बतला रहा हूं।
मोहन-मैं क्यो बुरा मानूंगा तुम बिना संकोच कह डालो
राजेश-तुम मूर्ख हो कभी परीक्षा में पास ही नहीं होते
मोहन-देखो यार मेरा मजाक मत बनाओ ।इस बार तो तुम भी एक विषय में सफल नहीं हो पाएं. तुम भी हमारे गुरूप में आ गये हो।तुम्हारा स्वागत है हमारी दुनिया में जहां हमको किसी को अपनी योग्यता साबित करने की कोई जरूरत नहीं पड़ती है।सभी हमको ज्ञान बंटाने को आतें हैं।और हमारे अनुभव को बढ़ाने में अपना योगदान देते हैं
— अभिषेक जैन

अभिषेक जैन

माता का नाम. श्रीमति समता जैन पिता का नाम.राजेश जैन शिक्षा. बीए फाइनल व्यवसाय. दुकानदार पथारिया, दमोह, मध्यप्रदेश