कविता

हमें शांति चाहिए

कुछ नया नहीं ये सोचना
हमें ही नहीं सबको चाहिए शांति,
व्यक्ति, परिवार, समाज या राष्ट्र ही नहीं
संसार को भी चाहिए शांति।
पर चाहने से क्या मिल जायेगी शांति
नहीं न, ऐसा तो हो ही नहीं सकता,
हर किसी को प्रयास करना होगा,
लड़ाई भी हो और शांति भी
दोनों का साथ कभी नहीं हो सकता है।
दोहरा मापदंड छोड़ना होगा
ईमानदार प्रयास करना होगा,
शांति चाहिए तो शांतचित्त रहना होगा
अपनी जिम्मेदारियों से न भागना होगा,
यह आपकी जिम्मेदारी नहीं, ये मत सोचिए
सभी ऐसा ही सोचने लगे, तो फिर विचार कीजिए
शांति कहां से पायेंगे?
शांति कोई वस्तु तो नहीं
जो पैसे से खरीद लायेंगे।
अब ये हमें सोचना है
कि शांति चाहिए या सिर्फ ख्वाहिश है
या फिर हम सबकी जरूरत है,
यदि जरूरत है तो हमारा आपका दायित्व भी
क्योंकि शांति हमारी ही नहीं
सारे संसार की जरूरत है।
जब ऐसी सोच से आगे बढ़ेंगे
तभी हम आप और शांति के
सबके ख्वाब पूरे होंगे।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921