लघुकथा

सर्वगुणसंपन्न

मनोहर जी आज अपने बेटे राहुल के लिए लड़की देखने जा रहे हैं। राहुल उनका इकलौता बेटा है किसी आई टी कम्पनी में अच्छे पद पर कार्यरत हैं। मनोहर जी का परिवार जब श्याम सुन्दर अग्रवाल के घर पहुंचे उनका बड़ा ही अच्छा अतिथि सत्कार हुआ। राहुल की मां कमला जी को अपने बेटे के लिए सर्वगुणसंपन्न बहुत चाहिए,पायल की फोटो उन्हें काफी भा गई थी।आज वो पायल को देखने और मिलने आई। अग्रवाल जी उन लोगों की काफी आवभगत करी थोड़ी देर में चाय की ट्रे लिए पायल आई,पायल को देखते सभी मुग्ध हो गए वो फोटो से कहीं ज्यादा सुन्दर लग रही थी। राहुल को भी पायल भा गई। कमला जी पायल की मां से पूछा खाना किस ने बनाया है उन्होंने  कहा “सब कुछ बेटी ने बनाया है, दीवार पर जो पेंटिंग लगी हुई है वो भी बेटी ने बनाया है,सारा घर बेटी ही संभालती है।”कमला जी बड़ी खुश हुई उन्हें जैसी बहु की तलाश है पायल वैसी ही है।
बड़ी धूमधाम से राहुल की शादी रचाई ।पायल जब बहु बन कर घर आई तो कमला जी के खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
दूसरे दिन पायल की रसोई की रस्म थी उन्होंने पायल से कहा
“उस दिन तुमने जो खास्ता कचौड़ी और सब्जी बनाई थी वही बनाओ और साथ में गाजर का हलवा।”पायल ने कहा “मुझे ये सब बनाना नहीं आता” “मगर उस दिन तुम्हारी मां ने कहा ये सब मेरी बेटी ने बनाया है” कमला जी हैरान होते हुए कहा।
“मेरी मां ने झूठ नहीं कहा वो सब मेरी छोटी बहन बर्षा ने बनाया था वो पेंटिंग भी उसी की थी मुझे तो इन सबमें कोई दिलचस्पी ही नहीं है” पायल ने इतराते हुए कहा। कमला जी पायल का मुंह देखती रह गई।
— विभा कुमारी “नीरजा”

*विभा कुमारी 'नीरजा'

शिक्षा-हिन्दी में एम ए रुचि-पेन्टिग एवम् पाक-कला वतर्मान निवास-#४७६सेक्टर १५a नोएडा U.P