गीत/नवगीत

मेरा घर

एक उम्र बिताई है मैंने इस घर आँगन चौवारे में
इस घर की हर ईंट सनी विश्वास प्रेम के गारे में
तिनका-तिनका कर जोड़ी है
रिश्तों  की  ये   बगिया   मैंने
इसकी  ख़ातिर  ही  छोड़ी  है
जीवन की कुछ  ख़ुशियाँ मैंने
ये  देह नहीं अंतर्मन भी बसता इसके  आधारों  में
इस घर की हर ईंट सनी  विश्वास प्रेम  के गारे में
हर  कोने  में  बसी  है  ख़ुशबू
मेरी     महकी    साँसों    की
मैं   ही   सदा   रही  हूँ  साक्षी
सुख -दुःख  के  आभासों  की
मैंने  पल-पल  इसे  सजाया  रातों  और उजियारे में
इस  घर  की  हर ईंट  सनी  विश्वास  प्रेम के गारे में
इक कदम न तुम चल पाओगे
जिस दिन छोड़ूँगी इस घर को
अपनी   स्नेह    सुधा    से   मैं
वंचित  कर  दूँ  इस तरुवर को
रह  जायेगी  परछाई  बस  इसके  हर इक गलियारे में
इस घर  की  हर  ईंट  सनी  विश्वास  प्रेम  के  गारे  में॥
— अनामिका लेखिका

अनामिका लेखिका

जन्मतिथि - 19/12/81, शिक्षा - हिंदी से स्नातक, निवास स्थान - जिला बुलंदशहर ( उत्तर प्रदेश), लेखन विधा - कविता, गीत, लेख, साहित्यिक यात्रा - नवोदित रचनाकार, प्रकाशित - युग जागरण,चॉइस टाइम आदि दैनिक पत्रो में प्रकाशित अनेक कविताएं, और लॉक डाउन से संबंधित लेख, और नवतरंग और शालिनी ऑनलाइन पत्रिका में प्रकाशित कविताएं। अपनी ही कविताओं का नियमित काव्यपाठ अपने यूटयूब चैनल अनामिका के सुर पर।, ईमेल - anamikalekhika@gmail.com