गीतिका/ग़ज़ल

वीणा उनके नाम हुई

आज फिर उन से ख्वाबों में मेरी मुलाकात हुई
आंखों ही आंखों में हमारे बहकती हर बात हुई।।
कभी वो हमको , कभी हम उनको देखे चुपके से
नजरों को चुराते हुए , मोहब्बत ए घनी रात हुई।।
लबों पर  मेरे शबनमी बूंदों का गिरना उन्हें भाया
वो शबनमी बूंदें लबों से मिल मेरे जैसे जाम हुई।।
ख्वाबों में ही सही पर हम सच उनके हो ही गये
उनकी कातिलाना लबों कि छुअन मेरे नाम हुई।।
जाग उठ बैठे मेरे दिल के हर एक बुझे एहसास
उन बुझे मेरे एहसासों मे आज जैसे फिर जान हुई।।
उमड़े बादलों के शौर से दिल मेरा जब घबराया
अपनी बांहों में भरे वो हमें वीणा उनके नाम हुई।।
— वीणा आडवाणी तन्वी

वीना आडवाणी तन्वी

गृहिणी साझा पुस्तक..Parents our life Memory लाकडाऊन के सकारात्मक प्रभाव दर्द-ए शायरा अवार्ड महफिल के सितारे त्रिवेणी काव्य शायरा अवार्ड प्रादेशिक समाचार पत्र 2020 का व्दितीय अवार्ड सर्वश्रेष्ठ रचनाकार अवार्ड भारतीय अखिल साहित्यिक हिन्दी संस्था मे हो रही प्रतियोगिता मे लगातार सात बार प्रथम स्थान प्राप्त।। आदि कई उपलबधियों से सम्मानित