कविता

कवि हूँ कविता लिखता हूँ

हाँ ! मैं कवि हूँ
कविता लिखता हूँ,
सत्य से दो चार हो
शब्दों से लड़ता झगड़ता हूँ,
मन में जो भाव उठे
उसे कागज पर उतार देता हूँ।
खुद से लेकर आप तक
पड़ोसियों से लेकर संसार तक
सरहदों की कठिनाईयों से लेकर
आकाश की ऊंचाइयों तक
पाताल की गहराइयों तक
मजदूर, किसान, विधार्थी की पीड़ा
बेरोज़गारी का दंश, आमजन की वेदना
शासन प्रशासन तक में ताक झाँक भी
आखिर कर ही लेता हूँ
कवि हूँ कविता लिखता हूँ।
अपराध और अपराधी तक
न्याय और अन्याय तक
सदाचार, अनाचार, भ्रष्टाचार लिखता हूँ
नीति अनीति की बात करता हूँ
धर्म जाति मजहब की बात भला कैसे भूलूँ
हिंदू मुसलमान में संदेह, वैमनस्य पर
हिंसा, बवाल, देशद्रोही गतिविधियों पर भी
खुलकर अपनी सोच लिखता हूँ
जो जीते, खाते, सुविधा लेते अपने देश में
पर देश तोड़ने की कोशिशें करते
उन बहुरुपिए भेड़ियों की खाल उतारता हूँ।
लिखना मेरा शौक है, जूनून है
इसलिए लिखता हूँ
सत्य से मुँह मोड़ नहीं पाता
दोगली राजनीति का चीरहरण करता हूँ,
इसलिए गालियां भी सहता हूँ
धमकियों से जूझता हूँ
फतवा झेलता, जान भी देता हूँ
पर कवि धर्म से पीछे नहीं हटता हूँ
क्योंकि कवि हूँ कविता ही तो करता हूँ
शब्दों के तालमेल और सम्मान में
हरदम जूझता रहता हूँ
कवि धर्म का पालन ईमानदारी से करता हूं।

 

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921