कविता

रिश्तों की मिठास

स्नेह,त्याग और विश्वास से
सुखमय होता परिवार
किंतु ये गुण धारण करना
हम करते नहीं स्वीकार।
संशय और व्यर्थ चिन्तन ही
डालता इसमें रुकावट
अशुद्ध विचारों के कारण
आती है मन में थकावट।
सुखी परिवार बनाने में सारा
जीवन निकल जाता
मुश्किलें जितनी भी आये,
परिवार एकता सहयोग
से कष्ट नही कोई पाता।
भाईचारा अपनत्व प्यार
और सौहार्द की नीव पर
घर जो बनाता,जिंदगी के
थपेड़ो से कभी नही घबराता।
स्नेह और शीतलता अपने
आचरण में तुम लाओ
त्याग और धैर्य जगाकर
अपना अहंकार मिटाओ।
नैतिक मूल्यों से जीवन को
श्रृंगारित करते जाओ
आपस में विश्वास जगाकर
सुखी परिवार बनाओ।
रिश्तो को मर्म पहचानो दीन
दुखी की सेवा कर ना
अपना परम कर्तव्य मानो।
परिवार को संजो कर
रखो प्रेम रूपी धागे से
मिलजुल कर रिश्तो मे
समझदारी की मिश्री घोलकर
रिश्तो की मिठास बढाओ
सुखी परिवार बनाओ।।

— आकांक्षा रूपा चचरा

डॉ. आकांक्षा रूपा चचरा

शिक्षिका एवम् कवयित्री हिंदी विभाग मुख्याध्यक्ष, कवयित्री,समाज सेविका,लेखिका संस्थान- गुरू नानक पब्लिक स्कूल कटक ओडिशा राजेन्द्र नगर, मधुपटना कटक ओडिशा, भारत, पिन -753010