गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

सच कहता हूं यार नहीं कर पाऊंगा।
आंखों-आंखों प्यार नहीं कर पाऊंगा।
चेहरा देखूं,दिल देखूं या बदन तुम्हारा,
इतना तो अभिसार नहीं कर पाऊंगा।
तेरे दिल पर प्रतिक्षण राज रहे बस मेरा,
कुछ ऐसा किरदार नहीं कर पाऊंगा।
शहद बनाती हो तुम रस पी-पीकर,
फूलों से संगसार नहीं कर पाऊंगा।
थोड़ी उलझन कुछ बेचैनी संग जी लूंगा,
याद तुम्हारा प्यार नहीं कर पाऊंगा।
जीवन में आखिर क्या-क्या करना है,
सब तेरे अनुसार नहीं कर पाऊंगा।
— वाई. वेद प्रकाश

वाई. वेद प्रकाश

द्वारा विद्या रमण फाउण्डेशन 121, शंकर नगर,मुराई बाग,डलमऊ, रायबरेली उत्तर प्रदेश 229207 M-9670040890