कविता

आज

बीत गये जो दिन, अच्छे थे
यादों के पन्नों में, उन्हें सजा लें
आज की बात कुछ, अलग है यारों
सब मिल आज का, मजा उठा लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें ।।

कल परसों की, करें क्या चिंता
जो होगा, बढ़िया ही होगा
आज का पल, जो खड़ा सामने
मिलकर इसे, खुशनुमा बना लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें ।।

कितना सुहाना मौसम आया
खुशियों की सौगातें लाया
हरियाली, चहुं ओर बिछी है
प्रकृति की अनुपम, छटा निहार लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें।।

झूम कर बादल, गरज रहे हैं
मोती बनकर, बरस रहे हैं
ऐसे में क्यों, घर पर बैठें
बारिश का हम, लुत्फ उठा लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें ।।

वह क्या सोचते हैं, उन पर छोड़ो
अपने मन से, नाता जोड़ो
मुश्किल से जो, पल ये मिले हैं
इन्हें और, खूबसूरत बना लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें।।

बीत गये क्षण, तो पछताओ गे
लाख जतन करो, क्या पाओगे
बस हाथ मलते, रह जाओगे
मौका मिला है, फायदा उठा लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें ।।

आज का दिन जो, दिया है प्रभु ने
इन्द्र धनुष रंग, भर दिया है उसमें
हम भी ऐसा, जत्न करें कुछ
हों प्रसन्न हरि , गले लगा लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें
जी भर जी लें, जश्न मना लें।।

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई