कविता

काश कभी तो ऐसा होता

तुम समझ जाते बिन कहे
मेरे दिल का हाल ।
न कह पायी जुबां वो दर्द
जो तुम कभी सोच भी न पाए
वो बारिश का आना
उम्मीदों का फिर से जाग जाना
कहोगे तुम कभी तो आओ
आज साथ मे भीगते हैं ।
खो जाती हूँ फिर से कल्पना में
तुम्हारे हाथों में हाथ डालकर
झूम रही हूँ मै हल्की बारिश में
थाम रहे हो तुम मुझे अपनी बाहों में ।
वो आसमान में बादलों से झांकता हुआ
चाँद भी चाँदनी के साथ मगन हो रहा है
निहार रही है चाँदनी भी अपलक चाँद को
आओ न हम भी छत पर चलते हैं ।
सो जाओ अब सुबह जल्दी जाना है
सिर्फ मुझसे दूर रहने का रोज का बहाना है ।
दुनिया की भाग दौड़ से  हटकर हक़ीक़त में आओ
जरा जिंदगी  को करीब से महसूस तो करो ।
भूल जाओगे सारी रंजिशें और गिले शिकवे
हसरतों को जरा साँस तो लेने दो ।
जीने दो मुझको तुम्हारी महकती साँसों के साथ
क्या पता कल जिंदगी का ये हसीन दौर हो न हो
चलो तारों को अठखेलियां करने दो
आसमान को भी जरा अकेले रहने दो
जी लो जिंदगी की आखिरी शाम तो सुकून से
जरा ‘वर्षा ‘की नजरों से दुनिया को देखो तो सही
— वर्षा वार्ष्णेय

*वर्षा वार्ष्णेय

पति का नाम –श्री गणेश कुमार वार्ष्णेय शिक्षा –ग्रेजुएशन {साहित्यिक अंग्रेजी ,सामान्य अंग्रेजी ,अर्थशास्त्र ,मनोविज्ञान } पता –संगम बिहार कॉलोनी ,गली न .3 नगला तिकोना रोड अलीगढ़{उत्तर प्रदेश} फ़ोन न .. 8868881051, 8439939877 अन्य – समाचार पत्र और किताबों में सामाजिक कुरीतियों और ज्वलंत विषयों पर काव्य सृजन और लेख , पूर्व में अध्यापन कार्य, वर्तमान में स्वतंत्र रूप से लेखन यही है जिंदगी, कविता संग्रह की लेखिका नारी गौरव सम्मान से सम्मानित पुष्पगंधा काव्य संकलन के लिए रचनाकार के लिए सम्मानित {भारत की प्रतिभाशाली हिंदी कवयित्रियाँ }साझा संकलन पुष्पगंधा काव्य संकलन साझा संकलन संदल सुगंध साझा संकलन Pride of women award -2017 Indian trailblezer women Award 2017