गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

कैसे सीखें दुनियादारी ।
सीख नहीं पाए होशियारी।।
मतलब छूटा रिश्ते छूटे
यानी अब मतलब की यारी ।।
खाली पेट हुआ ना करतब
धरी रह गई सब फनकारी ।।
नियम कायदे सर पर रख कर
किस्मत घूमें मारी मारी ।।
चन्द आवारा फिरें भेड़िया
दहशत में है हिरन बेचारी ।।
— समीर द्विवेदी नितान्त

समीर द्विवेदी नितान्त

कन्नौज, उत्तर प्रदेश