कविता

मैं भारत कहलाता हूँ

मैं धर्म गुरु
मैं  ज्ञान  गुरु
मैं आध्यात्म का
भी गुरु कहलाता हूँ
मैं भारत कहलाता हूँ।

मै सूत्रधार
मैं  मार्गदर्शक
मैं नीति न्याय का
ध्वजा  फहराता हूँ
मैं भारत कहलाता हूँ।

मैं वेद गीता
मैं ही भागवत
मैं  रामायण, पुराण
ग्रंथों का सिरजनहारा हूँ
मैं  ही भारत  कहलाता हूँ।

मैं समृद्धि
मैं  ही वैभव
मैं कुबेर सोने की
चिड़िया कहलाता हूँ
मैं ही भारत कहलाता हूँ।

मैं शक्तिशाली
मैं सैन्य सामरिक
मैं ज्ञान विज्ञान योग
का परचम फहराता हूँ
मैं ही भारत कहलाता हूँ।

मैं स्वतंत्र
मैं   गणतंत्र
मै जनता,जनार्दन
लोकतंत्र कहलाता हूँ
मैं ही भारत कहलाता हूँ।

— अशोक पटेल “आशु”

*अशोक पटेल 'आशु'

व्याख्याता-हिंदी मेघा धमतरी (छ ग) M-9827874578