कविता

हरतालिका तीज

भादो में हरतालिका तीज आती है,
 सब नारियां सज जाती है,
 बादलों की गड़गड़ाहट मन हरषाती  है,
 बारिश की बूंदे मन बहलाती है,
ठंडी हवा शीतलता देती है,
 हर पत्नी को पति शिव लगता है,
 पत्नी श्रृंगार कर पूजा करती है,
 पूरे दिन का उपवास रखती है,
 हाथों की मेहंदी बहुत सुहाती है,
 सुहाग की चुनरी लहलहाती है,
 सुख सौभाग्य का व्रत कहलाता है,
 हर पत्नी मंगल गीत गाती है,
 भादो में हरतालिका तीज आती है,
 मन को बहुत हरषाती है।।
— गरिमा लखनवी

गरिमा लखनवी

दयानंद कन्या इंटर कालेज महानगर लखनऊ में कंप्यूटर शिक्षक शौक कवितायेँ और लेख लिखना मोबाइल नो. 9889989384