अभिनंदन हे गणपति देवा,
मन-आसन तैयार,
आके विराजो हे विघ्नविनाशक,
प्राणों के आधार.
प्रथमै पूजन होता तेरा,
तीन लोक के स्वामी,
लड्डुअन भोग लगाओ आकर,
घट-घट अंतर्यामी.
हमने तुझ पर तन-मन वारा,
प्राण भी तुझ पर घोरया,
जल्दी आओ सिद्धिविनायक,
गणपति बप्पा मोरया
*लीला तिवानी
लेखक/रचनाकार: लीला तिवानी। शिक्षा हिंदी में एम.ए., एम.एड.। कई वर्षों से हिंदी अध्यापन के पश्चात रिटायर्ड। दिल्ली राज्य स्तर पर तथा राष्ट्रीय स्तर पर दो शोधपत्र पुरस्कृत। हिंदी-सिंधी भाषा में पुस्तकें प्रकाशित। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं।
लीला तिवानी
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