बाल कविता

शिक्षक दिवस

रामू   केशव   और   सुनीता।
प्रेम  राज  जगमोहन  गीता।।
रामवीर    आलोक    सुनैना।
श्याम   मुरारी   राजन   रैना।।
कक्षा  से  सब  बाहर  आए।
आपस में मिलकर बतियाये।।
गुरुजन  पूरी   साल  पढ़ाते।
जग   के  बारे  में  समझाते।।
ये  ही   गढ़ें  भविष्य   हमारा।
करते जीवन   में   उजियारा।।
संस्कार    तहजीब   सिखाते।
खुद तप  कुन्दन  हमें  बनाते।।
गुरु  को  कहें  राष्ट्र निर्माता।
दुनिया के हैं भाग्य विधाता।।
गौरव उनका  आज  बढ़ाएँ।
चरणों में हम शीश झुकाएँ।।
साथी मिलकर सभी विचारें।
कृत  होकर के  कर्ज  उतारें।।
कैसे शिक्षक  दिवस  मनाएँ।।
सोच समझकर सभी बताएँ।।
कक्षानायक  रामखिलाड़ी।
बोला  लाएँगे   दो   साड़ी।।
दैनंदिनी    भेंट    में    देंगे।
गुरु माता से आशीष लेंगे।।
यह विचार सबके मन भाया।
ऐसे  शिक्षक दिवस मनाया।।
— प्रेमसिंह राजावत ‘प्रेम’

प्रेम सिंह "प्रेम"

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