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हिंदी की बिंदी चमक रही है

  1. हिंदी एक ऐसी भाषा जो जिस प्रकार से बोलते है , ठीक उसी प्रकार से लिखते है । जबकि अंग्रेजी में उच्चारण अलग और मायने अलग होते है । यह पूरी तरह से वैज्ञानिक भाषा है । इसके निर्माण में स्वर के उच्चारण में होंठो का और व्यंजन के उच्चारण में जीभ, तालू और गले का पूर्ण उपयोग किया जाता है ।

यह जरूर है कि जो लोग ज्यादा भाषा की बनावट या उच्चारण पर ध्यान नही देते उनका उच्चारण थोड़ा – बहुत गलत हो जाता है । पर इसमें भी क्षेत्रीय बोलियों में थोड़ा अलगाव होने के कारण भाषा अशुद्ध हो जाती है ।

जैसे, भोजपुरी भाषा में स और श में अंतर समझ में नही आता अधिकांश लोगों को जो शादी को सादी बोलेंगें पर अर्थ तो समझ में आ जाता है । फिर भी लोग अब ज्यादा शिक्षित होने लगे है और भाषा के उच्चारण पर ध्यान देने लगे है । हाँ, लिखनें में जरूर सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि अशुद्ध लेखन किसी भी प्रकार से आपको प्रभावित नही करता ।

पर सोशल साइट पर लिखने वाले धड़ल्ले से लिख रहे वह बात अलग है कि उन्हें मात्रा या अक्षर की गलती समझ में न आती है , न वह समझना चाहते है । यह हिंदी के संदर्भ में निराशाजनक बात है । पर इसका दूसरा पक्ष यदि देखा जाए तो लेखन की सुविधा ने विचारों को विस्तार दिया है । अच्छे, बुरे, गलत, सही अपने विचारों को अभिव्यक्त करना यह सुखद बदलाव है । इसके लिए तो हिंदी के जितने भी प्लेटफार्म है चाहे वह मैगजीन हो, पत्रिका हो या फिर ब्लॉग यह एक नई तरह की क्रांति है । जिसमें हिंदी का आने वाला कल और भी उज्ज्वल दिख रहा है ।

हिंदी बाजार की भाषा है, विज्ञापन की भाषा है, बोलचाल की भाषा है, सिनेमा की गीतों तथा गानें की भाषा है । यह भाषा गौरवान्वित करती है ।

हिंदी दिवस की शुभकामनाओं के साथ 🙏🏻

रचना वर्मा

जन्मस्थान- गोरखपुर, उत्तर-प्रदेश शिक्षा- एम.ए, अर्थशास्त्र, बी.एड कुछ वर्ष अध्यापन कार्य लेखन में रुचि के कारण कुछ समाचार पत्रिकाओं में ब्लॉग तथा लेख लिखे और फेसबुक पर अपना अंगना मैगजीन से जुड़ कर छंद, माहिया, दोहे और हाइकु जैसी विधाओं से परिचय हुआ । प्रकाशित लेख - संग्रह " कही- अनकही" वर्तमान पता- मुम्बई rachna_ varma@ hotmail.com