सामाजिक

ऑनलाइन नहीं, स्थानीय व्यापारी

भारत त्योहारों का देश है, त्योहार ही हमारी आस्था है और इन्हीं से हमारी आर्थिक मजबूती भी है। त्योहार ही व्यापार में द्रव्यता लाते है, त्योहारों से ही बाजार और व्यापार चमकते है। हम सभी जानते है, दीपावली आने वाली है, बाजारों में रौनक बढ़ गई है। छोटी बड़ी सभी दुकानों के व्यापारी टकटकी लगाए ग्राहक की प्रतीक्षा में है। हर व्यापारी कोरोना काल के संकटों से जूझकर अब अच्छे व्यापार की प्रतीक्षा में भगवान से प्रतिदिन प्रार्थना करता है, परन्तु क्या भगवान की यह प्रार्थना हम तक पहुँच रही है ? जी हां स्थानीय व्यापार को online व्यापारी कंपनियां अपना ग्रास बना रही है, जिसका सीधा लाभ कंपनियों को जाता है और स्थानीय व्यापारी अच्छे दिनों की आस में बैठा रहा जाता है, खरीदी करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारे खरीदी के लाभ से सामने वाला छोटा व्यापारी भी दीपावली मना सके, उसके घर भी दीपक जल सकें, मिठाई बन सके, इसके लिए आवश्यक है कि हम स्थानीय छोटे दुकानदारों से भी खरीदी करें, जितना ज्यादा हो सके, स्थानीय दुकानदारों से लेनदेन करें। यह आवश्यक भी है क्योंकि जब हम दुर्गा जी या गणेश जी बैठाते है तो सहयोग की राशि कंपनी से नही इन्ही छोटे व्यापारियों से मांगने जाते है, विभिन्न छोटे बड़े आयोजन व संस्थाएं इन्हीं से सहयोग लेकर चलती है, अतः यह अत्यंत आवश्यक है कि हमारी खरीदी स्थानीय व्यापारियों से ही हो ताकि दीपावली की रौनक आपके घर से होते हुए, स्थानीय बाजार, व्यापारियों के साथ उनके घर भी पहुंचे, यही दीपावली का उद्देश्य भी है, खुशियां अपनों में बांटना ही तो है दीपावली। प्रभु राम के अयोध्या आगमन पर खुशियों के प्रसार और उत्साह के रूप में हम दीपावली मनाते आये है, यह दीपावली स्थानीय व्यापारी के घर भी पहुँचें, इसी आशा के साथ आपको दीपावली की अग्रिम शुभकामनाएं।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश