मतलब की दुनियाँ
किस पर करूँ भरोसा जग में
हर कोई है मतलब का यार
झूठी दुनियाँ ठग है गुणियाँ
झूठों से भरा पड़ा है यह संसार
किस पर करूँ भरोसा जग में
झूठे वादे का सब है कारोबार
बात बात में मार काट है
सुखी नहीं है जीवन व्यापार
किस पर करूँ भरोसा जग में
कोई किसी का ना पालनहार
अपना दुःख सुख अपना गम
विचित्रता से भरा पड़ा संसार
किस पर करूँ भरोसा जग में
झूठी माया झूठा है परिवार
मतलब का गुलशन है लगाया
मतलब में है जन जन गुलजार
किस पर करूँ भरोसा जग में
बेईमानों से भरा पड़ा है संसार
आँखे बन्द हुई डब्बा गायब
धूर्त्तई का है जगत व्यापार
किस पर करूँ भरोसा जग में
लूट पाट का बेसब्री से इन्तजार
मौका परस्त दिखता है पड़ोसी
बेवकूफ बन रहे हैं हम सब यार
— उदय किशोर साह