गीत/नवगीत

गीत ( नववर्ष )

नववर्ष का अभिप्रेरणा गीत

 

 

नववर्ष नवयुग जैसा हो यही कल्पना करता मन

स्वर्णिम प्रकाश भरे हृदय में छवि करो जैसे दर्पण

द्वेष भाव कलुषित घृणा का बंधु करो तुम दमन

वसुधैव कुटुंबकम् का भाव जगाओ सत्य सनातन

मन कलयुगी सत्ता का प्रभाव घटाने का लो प्रण

हरि भजन में मन रमाओ राधे राधे करो हर क्षण

नव आशाएँ नव परिभाषा नव इतिहास गढो़ तुम

वक्त का चेहरा निज आत्मा का विश्वास पढो़ तुम

ठोकरों की धुंध में सफलता का छुपा दिवाकर

बस एक कदम और सही निष्ठा को बस सवा कर

 

नव उत्थान हेतु नव स्वप्न देख निकट खड़ा है लक्ष्य

उठा कलम लिख निज भाग्य यहीं जीवन का सत्य

नव सोच लिए नव जूनून जगा बस निशाना साध

हे मनुष्य कर्म प्रधान है चिंता में न तू हाथ बांध

संसार पे न दृष्टि डाल जो सबको मिला वक्त समान

वही वक्त है वही रण है जरा जाग तू बना पहचान

कर्म कसौटी पे कसा निज को वही यहाँ पैरों खड़ा

याद रख मानव इस सृष्टि में न छोटा न कोई बड़ा

चिंतन कर मनन कर और मन शक्ति की दवा कर

बस एक कदम और सही निष्ठा को बस सवा कर

 

 

मजबूरी को पहना चुड़ियाँ संकट को बना चेला

लक्ष्य बडा़ कितना भी हो बस चल राही अकेला

सूर्य तेज से अधिक तेज तेरी आत्मा की शक्ति का

वक्त तेरा क्या बिगाड़ सकेगा कर्मनिष्ठ भक्ति का

नव ऊर्जा नव संकल्प नवयुग को बस आधार बना

कितना भी मिले राह में अपवादों का अंधकार घना

मन को बस शांत रख केंद्रित रख बस निज ध्यान

धरती क्या गनन तेरा कर्म कर फल देगा भगवान

कुछ कर दिखाने की आग को तू मनुष्य हवाकर

बस एक कदम और सही निष्ठा को बस सवा कर

 

 

भानु शर्मा रंज

कवि एवं गीतकार

धौलपुर एवं राजस्थान

भानु शर्मा रंज

कवि और गीतकार धौलपुर राजस्थान M-7976900735, 7374060400