कविता

कविता – नीड़

चूं-चूं करती आई मेरी रानी चिड़िया,
नीड़  बनाती अपनी बढ़िया- बढ़िया।
नित  करते अपने  संरक्षण वास्ते,
नीड़ बनाती अपनी बढ़िया-  बढ़िया।।
कल- कल बहती सारी नदियां
रोज विचार करती है चिड़िया।
रोज पीढ़ी मेरी बढ़े भी आगे कैसे ,
विचारमंथन करती है नित चिड़िया।।
दाना- पानी भोजन व्यवस्था ,
लगी रहती है हमेशा रानी चिड़िया।
मीठी मधुर- मधुर गाए गीत नित,
नीड़ अपनी रोज सुन्दर करती बढ़िया।।
अपनी मधुर वाणी से मन सबकी मोह लेती,
करती हमेशा उपकार का कार्य चिड़िया।।
नित नया नीड़ बना तिनकों से अपनी खुद का ,
प्यार का भाव सभी में जगाती है चिड़िया।।
— डोमेन्द्र नेताम ( डोमू )

डोमेन्द्र नेताम (डोमू )

मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छ.ग.) मो.9669360301