कविता

मेरे पिता

मेरी शक्ति, मेरी ताकत, मेरी ईज्जत- सम्मान हैं मेरे पिता।
जिसने मुझे जन्म दिया, मुझे मेरी पहचान दिया वो है मेरे पिता।।
मेरे शरीर के कतरे कतरे में बहता है उनकी खून और पसीना।
मेरी माँ की सुहाग हैं मेरे पिता जिसने सिखाया जीवन‌ जीना।।
घर के एक एक ईंट, दीवार और छत की छाया हैं मेरे पिता।
उनके बिना अधुरी है मेरे जीवन की काया ऐसे हैं मेरे पिता।।
सारे रिश्ते- नातों की डोर हैं मेरे पिता।
पूरे परिवार के दिल की धड़कन हैं, मेरे पिता।।
ऊपर वाले का दिया मेरे लिए तोहफा हैं मेरे पिता।
मेरे पिछले जन्मों के अच्छे कर्मो की वरदान हैं मेरे पिता।।
भगवन, हर जन्म मुझे चाहिए ये मेरे पिता।
क्योंकि, ये न होते तो शायद मेरा जीवन सुनहरा न होता।।