राजनीति

अधिकार

अधिकार की बात करने वाली विचारधारा कम्युनिस्ट विचारों की देन है, जिंदगी भर कम्युनिस्टों ने यही किया। अधिकारों की बात करके समाज को भ्रमित किया. सामंतवाद पर आधारित फुट डालने और घृणा फैलाने का काम किया है, आज भी इनसे प्रेरित साहित्यकार व फिल्मकार ऐसे ही दृश्य प्रस्तुत करते है, ताकि निर्धन में घृणा और नफरत भरकर ये कम्युनिस्ट राज कर सकें। क्योंकि जिस अधिकार की ये बातें करते है वह काल्पनिक होता है, वास्तव में जिम्मेदारी के विषय में बात करनी चाहिए परन्तु उससे गरीब निर्धन आक्रोशित नही होगा, विद्रोह नही करेगा, विभाजित नही होगा।
यदि शिक्षा की ओर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से यदि कार्य किया जाए, तो निर्धनता केवल एक पीढ़ी में समाप्त हो जाएगी, यही वास्तव में निस्वार्थ भावना से की गई समाजसेवा होगी। परन्तु ये अधिकार की कपोल कल्पना से आक्रोशित करके उसे विभाजन के संघर्ष में धकेल कर सदा सदा के लिए निर्धन रखना चाहते है ताकि इन्हें धनवानों को डराकर और गरीब को आक्रोशित करके राज करने का अवसर मिले। कम्युनिस्ट विचारधारा को समझने के लिए यह चित्र पर्याप्त है, अधिकार की बात करने वाले जीवों से सावधानी से व्यवहार करें।
— मंगलेश सोनी

*मंगलेश सोनी

युवा लेखक व स्वतंत्र टिप्पणीकार मनावर जिला धार, मध्यप्रदेश