बाल कविता

महक उठेगी धरती प्यारी

फूल खिलेंगें क्यारी क्यारी,
चारों दिशा में हो हरियाली ।
नदियाँ,लताएँ, झरने, घाटी,
महक उठेगी धरती प्यारी ।

सुमन लदी डाली मुस्काती,
सुबह पहली किरण जो आती।
पक्षी गाते, धरती मुस्काती ,
हरियाली लाती खुशहाली ।

पेड़ों को हम मित्र बना लें,
मन में सुंदर चित्र सजा लें।
रबर,कपास,कागज़, लकड़ी,
पेड़ों से औषधी भी मिलती

सूरज की बिखरे जब लाली,
खुशी, नयन मन को है भाती।
सुंदर बन जाय घर आँगन ,
सजी हो धरती ले हरियाली ।

— आसिया फ़ारूक़ी

*आसिया फ़ारूक़ी

राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षिका, प्रधानाध्यापिका, पी एस अस्ती, फतेहपुर उ.प्र