धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

ईश्वर के साथ आत्मा का संगठन ही योग है -श्रीमद्भगवतगीता

शरीर की स्वस्थता , उपचार एवं सुधार के लिए व्यायाम अत्यंत आवश्यक है । यह हड्डियों को मजबूत बनाता है . बीमारियों को बढ़ने से रोकता है , मांस – पेशियों को सुदृढ़ तथा स्वस्थ बनाता है और जोड़ों , नसों तथा स्नायु तन्त्रों को लचीला बनाने में मदद करता है । योगाभ्यास शरीर को आन्तरिक रूप से स्वस्थ बनाना है और मन को शान्ति प्रदान करता है तथा इनका नियमित अभ्यास करने से अनेक प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है । यौगिक क्रिया , आसन तथ्या प्राणायाम योग के भौतिक आधार का गठन करते हैं ।
जीवन की समान्य स्थिति बनाए रखने के लिए शारीरिक व्यायाम करना अति आवश्यक है । प्राकृतिक व्यायाम का अभाव कमजोरी तथा अस्वस्थता का एक मुख्य कारक है । व्यायाम शरीर के भीतर रक्त प्रवाह को सुधारता है तथा रक्त की विषकतता को दूर करता है । विभिन्न प्रकार के व्यायाम किए जा सकते हैं – वायुजीव ( एरोविक ) व्यायाम , स्ट्रेचिंग ( खिंचाव ) व्यायाम , योगासन आदि । वायुजीव ( एरोबिक ) व्यायाम जैसे टहलने , तैराकी करने , साइकिल चलाने , दौड़ने आदि में अत्यधिक वायु ( सांस ) तथा ऑक्सीजन शरीर के भीतर लेनी होती है । स्ट्रेचिंग , व्यायाम न केवल मांसपेशियों तथा जोड़ों में खींचाव तथा फैलाव लात हैं बल्कि यह शरीर के अन्य भागों तथा ग्रन्थियों को मालिश भी करते हैं , सुदृढ़ीकरण तथा शारीरिक संरचना अभ्यास भी शारीरिक स्वायता के लिए सहायक होते है । मांस पेशियों तथा जोड़ों के लिए व्यायामों में योगासन सबसे प्रमुख व्यायाम है । योगासन करने से शरीर स्वस्थ होता है तथा मस्तिष्क को शान्ति मिलती है । यह तनावों को दूर करने में भी सहायक होता है । चाहे वह शारीरिक , मानसिक अथवा भावनात्मक तनाव ही क्यों न हो । यदि व्यायाम को गोली के रूप में पैक किया जा सकता तो यह विश्व में व्यापक रूप से एकमात्र निर्धारित तथा लाभदायक औषधि होता ।
” योग ” शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत के ” युज ” शब्द से हुई है जिसका अर्थ है बांधना , प्रहण करना अथवा जोड़ना । इसका अर्थ संगठनन भी है । यह सत्य है कि ईश्वर की इच्छा के साथ हमारी इच्छा संगठित होती है । भारतीय दर्शन को छः परम्परागत प्रणालियों में से योग भी एक प्रणाली है । योग प्रणाली हमें उन कारणों को बताती है जिसके द्वारा ” जीवात्मा ” ( व्यक्तिगत मानव – अन्तरात्मा ) ” परमात्मा ” ( सर्वोच्च सार्थचोमिक अन्तरात्मा ) में संगति होती है और हमें मोक्ष की ओर ले जाती है ।
” व्यक्तित्व का संपूर्ण रूप से विकास ही योग है ” -श्रीमद्भगवतगीता ,
” ईश्वर के साथ आत्मा का संगठन ही योग है ” -श्रीमद्भगवतगीता
” मस्तिष्क की विभिन्न मनोदशाओं में रुकावटेंडालना ही योग है ” -योगदर्शन ,
             योग वह पद्धति है जिसके द्वारा अशांत मस्तिष्क को शांति मिलती है और संपूर्ण शरीर में ऊर्जा का संचार होता है । जैसे एक विशाल नदी में उपयुक्त रुप से बांध तथा नहरें बनाकर एक बड़ा जलाशय बनाया जाता है जो कि दुर्भिक्ष अकाल तथा बाढ़ की रोकथाम करता है और उद्योगों के लिए ऊर्जा उपलब्ध कराता है । इस प्रकार जब मस्तिष्क सन्तुलित होता है तो वह शांति रुपी जलाशय उपलब्ध कराता है तथा मानव का उत्थान काने के लिए पर्याप्त ऊर्जा उत्पन्न करता है । योग का अर्थ मानव का शारीरिक , बौद्धिक , मानसिक तथा आध्यात्मिक रूप से संपूर्ण विकास करना है । योग का पूरा लाभ प्राप्त करने के अनुक्रम में  व्यक्ति का समुचित तरिके से अभ्यास करना आवश्यक है क्योंकि योग एक वैज्ञानिक प्रणाली है । इसलिए इसको एक विशिष्ट तरीके से करने की आवश्यकता है । यदि आसन , प्राणायाम , बंध तथा मुद्रा को प्रचलित विधि के अनुसार नहीं किया जाता है तो यह केवल अभ्यास ही रह जाएगा तथा इसके संतोषजनक परिणाम नहीं होंगे ।,,,,,,,,,,,
— डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

डॉ. मुश्ताक़ अहमद शाह

वालिद, अशफ़ाक़ अहमद शाह, नाम / हिन्दी - मुश्ताक़ अहमद शाह ENGLISH- Mushtaque Ahmad Shah उपनाम - सहज़ शिक्षा--- बी.कॉम,एम. कॉम , बी.एड. फार्मासिस्ट, होम्योपैथी एंड एलोपैथिक मेडिसिन आयुर्वेद रत्न, सी.सी. एच . जन्मतिथि- जून 24, जन्मभूमि - ग्राम बलड़ी, तहसील हरसूद, जिला खंडवा , कर्मभूमि - हरदा व्यवसाय - फार्मासिस्ट Mobile - 9993901625 email- dr.m.a.shaholo2@gmail.com , उर्दू ,हिंदी ,और इंग्लिश, का भाषा ज्ञान , लेखन में विशेष रुचि , अध्ययन करते रहना, और अपनी आज्ञानता का आभाष करते रहना , शौक - गीत गज़ल सामयिक लेख लिखना, वालिद साहब ने भी कई गीत ग़ज़लें लिखी हैं, आंखे अदब तहज़ीब के माहौल में ही खुली, वालिद साहब से मुत्तासिर होकर ही ग़ज़लें लिखने का शौक पैदा हुआ जो आपके सामने है, स्थायी पता- , मगरधा , जिला - हरदा, राज्य - मध्य प्रदेश पिन 461335, पूर्व प्राचार्य, ज्ञानदीप हाई स्कूल मगरधा, पूर्व प्रधान पाठक उर्दू माध्यमिक शाला बलड़ी, ग्रामीण विकास विस्तार अधिकारी, बलड़ी, कम्युनिटी हेल्थ वर्कर मगरधा, रचनाएँ निरंतर विभिन्न समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में 30 वर्षों से प्रकाशित हो रही है, अब तक दो हज़ार 2000 से अधिक रचनाएँ कविताएँ, ग़ज़लें सामयिक लेख प्रकाशित, निरंतर द ग्राम टू डे प्रकाशन समूह,दी वूमंस एक्सप्रेस समाचार पत्र, एडुकेशनल समाचार पत्र पटना बिहार, संस्कार धनी समाचार पत्र जबलपुर, कोल फील्डमिरर पश्चिम बंगाल अनोख तीर समाचार पत्र हरदा मध्यप्रदेश, दक्सिन समाचार पत्र, नगसर संवाद नगर कथा साप्ताहिक इटारसी, में कई ग़ज़लें निरंतर प्रकाशित हो रही हैं, लेखक को दैनिक भास्कर, नवदुनिया, चौथा संसार दैनिक जागरण ,मंथन समाचार पत्र बुरहानपुर, और कोरकू देशम सप्ताहिक टिमरनी में 30 वर्षों तक स्थायी कॉलम के लिए रचनाएँ लिखी हैं, आवर भी कई पत्र पत्रिकाओं में मेरी रचनाएँ पढ़ने को मिल सकती हैं, अभी तक कई साझा संग्रहों एवं 7 ई साझा पत्रिकाओं का प्रकाशन, हाल ही में जो साझा संग्रह raveena प्रकाशन से प्रकाशित हुए हैं, उनमें से,1. मधुमालती, 2. कोविड ,3.काव्य ज्योति,4,जहां न पहुँचे रवि,5.दोहा ज्योति,6. गुलसितां 7.21वीं सदी के 11 कवि,8 काव्य दर्पण 9.जहाँ न पहुँचे कवि,मधु शाला प्रकाशन से 10,उर्विल,11, स्वर्णाभ,12 ,अमल तास,13गुलमोहर,14,मेरी क़लम से,15,मेरी अनुभूति,16,मेरी अभिव्यक्ति,17, बेटियां,18,कोहिनूर,19. मेरी क़लम से, 20 कविता बोलती है,21, हिंदी हैं हम,22 क़लम का कमाल,23 शब्द मेरे,24 तिरंगा ऊंचा रहे हमारा,और जील इन फिक्स पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित सझा संग्रह1, अल्फ़ाज़ शब्दों का पिटारा,2. तहरीरें कुछ सुलझी कुछ न अनसुलझी, दो ग़ज़ल संग्रह तुम भुलाये क्यों नहीं जाते, तेरी नाराज़गी और मेरी ग़ज़लें, और नवीन ग़ज़ल संग्रह जो आपके हाथ में है तेरा इंतेज़ार आज भी है,हाल ही में 5 ग़ज़ल संग्रह रवीना प्रकाशन से प्रकाशन में आने वाले हैं, जल्द ही अगले संग्रह आपके हाथ में होंगे, दुआओं का खैर तलब,,,,,,,