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सप्तकवि श्रृंखला में ‘प्राण’ भदौरिया

हिन्दी के मूर्धन्य विद्वान साहित्यकार डॉ. चन्द्रपाल सिंह यादव एवं कवयित्री प्राध्यापक डॉ भावना एन. सावलिया द्वारा सम्पादित व कानपुर के संगिनी प्रकाशन से प्रकाशित समकालीन विमर्श में वर्तमान हिन्दी काव्य के “सप्तकवि” नाम से काव्य संकलन‌‌ की द्वितीय श्रृंखला में इन्दौर के वरिष्ठ कवि गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण” की चार लम्बी रचनाओं ‘जब मैंने देखा धुआँधार’ ‘भारत का कीर्तिनाद’ ‘शान्ति की सरिता’ और एक ‘ग़ज़ल’ को साभार सम्मिलित किया गया है। इन सप्त कवियों में सम्पादक द्वय डॉ.चन्द्रपाल सिंह यादव, डॉ.भावना एन. सावलिया, गिरेन्द्रसिंह भदौरिया “प्राण”, डॉ . अरविन्द पराशर, विनीता ‘निर्झर’, गजराज सिंह “धर्म” व भूपसिंह यादव के साथ सभी की रचनाओं की गहन समीक्षा करने वाले विवेचक डाॅ विनोद कुमार वर्मा की विवेचना को स्थान  दिया गया है। सम्बन्धित सभी कवियों की रचनाओं के पूर्व उनके जीवन परिचय को प्रकाशित किया गया है। उक्त जानकारी संज्ञान में आते ही कई साहित्यकारों ने श्री भदौरिया को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ दी हैं। ज्ञातव्य है कि श्री भदौरिया को साहित्य जगत में भारतीय संस्कृति की परम्परागत काव्य विधाओं का निष्णात कवि माना जाता है। वर्तमान में उनकी रचनाओं को हिन्दी के पाठ्यक्रमों में सम्मिलित कर देश के विभिन्न विद्यालयों में सादर पढ़ाया जा रहा है।

— पूजा राजावत 

अवंतिका नगर इंदौर

मध्य प्रदेश

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गिरेन्द्र सिंह भदौरिया "प्राण"

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