गीत/नवगीत

गीत

जब अपराधी को, दण्ड न मिलेगा
या देर से और , बहुत कम मिलेगा
फिर क्यों कर वे, किसी से डरेंगे
उनके हौसले तो, बुलंद ही होंगे
अपराध करने से, वे क्यों हिचकेंगे

पहले तो केस,फाइल में‌ शिथिलता
ऊपर से लचर, कानून व्यवस्था
हर चीज में अगर, राजनीति करेंगे
एक न एक दिन, औंधे मुंह गिरेंगे
अपराध करने से वे, क्यों हिचकेंगे

बीसियों साल बाद,सजा सुनाते
साक्ष्य के अभाव में,कुछ छूट जाते
छूट कर जीत का, जश्न मनाते
फिर भी अगर, आंख मूंदे रहेंगे
अपराध करने से वे, क्यों हिचकेंगे

दुर्दांत अपराधों में,जमानत क्यों दें
इनको तो बस जेल, में ही रहने दें
बलात्कारी को, यदि पैरोल देंगे
फिर कैसे आदर्श, कायम करेंगे
अपराध करने से वे, क्यों हिचकेंगे

समय आ गया है, कुछ नया स़ोंचो
त्वरित न्याय को, अब प्रमुखता दो
पुरानी प्रणाली से, काम न चलेगा
नये सिरे से कब, परिवर्तन करेंगे
अपराध करने से वे, क्यों हिचकेंगे

अपराधियों से, क्यों कर हमदर्दी
क्यों कभी शर्माए, खाकी वर्दी
सगरी सुरक्षा क्यों, उन्हें ही मुहैय्या
उन्हें जब माकूल, जवाब मिलेंगे
अपराध करने से ,जरूर हिचकेंगे।

कुछ तो , समय सीमा
निर्धारित , कीजिए
तय समय , के अंदर
फैसला, दीजिए
जघन्य, अपराधों की
नित्य, सुनवाई हो
फिर आपकी, भी लोग
वाह-वाही , करेंगे
वर्ना क्यों, कर वे
किसी से, डरेंगे।।

फिर क्यों कर वे, किसी से डरेंगे

— नवल अग्रवाल

नवल किशोर अग्रवाल

इलाहाबाद बैंक से अवकाश प्राप्त पलावा, मुम्बई