गीत/नवगीत

14 सितंबर हिंदी दिवस पर विशेष

पहाड़ काट हरियाली खा गए,

महल बनाए हमने।

बालकनी बगिया लहराई,

चमन मिटाए हमने।।

गांव मिटे और नगर बन गए

नेह गेह के मरम मिट गए।

नोट कमाए हमने।

रिश्ते नाते खतम हुए सब

प्रेम गवांए हमने।। बालकनी बगिया

चौपालें सब सुनी हो गई

पंच हथाई गूंगी हो होगी।

टी वी लगाई हमने।

मोबाइल ही सब कुछ हो गया

नींद गंवाई हमने।। बालकनी बगिया

सच्चे मित्र सब दूर हो गए

कुशलक्षेम मजबूर हो गए

चैन गवांया हमने।

आभासी को गले लगाया

भ्रात गवांए हमने।। बालकनी बगिया

पाठशालाएं बंद हो गई

कान्वेंट हर गली खुल गई।

आंग्ल पढ़ाई हमने।

हिंदी दिवस मनालो कितने

ली मार कुल्हाड़ी हमने।। बालकनी बगिया

डॉ शिवदत्त शर्मा शिव

डॉ. शिवदत्त शर्मा

शिक्षा B.A.M.S. आयुर्वेद स्नातक 1972 जन्म 1950 50 वर्षो से साहित्य सेवारत गीत,ग़ज़ल,गद्य-पद्य लेखन अनेको देश-विदेश के पत्र-पत्रिकाओं में नियमित प्रकाशन मंचीय कवि अनेको संस्थाओं द्वारा सम्मानित। आकशवाणी एवं दूरदर्शन से अनेको कार्यक्रम प्रसारित। स्वयम के फेसबुक पेज़ और यू-ट्यूब चेनल साप्ताहिक ऑन लाइन कर्यक्रम की अनवरत प्रस्तुति। अनेको नवोदित साहित्यकारों का मार्गदर्शन एवम ऑनलाइन काव्य पाठ का अवसर प्रदान कर उनमें आत्मविश्वास भरना। पता:-- शशि क्लीनिक C-240 मुरलीपुरा स्कीम जयपुर राजस्थान 302039 मोबाइल 9829640001