कविता

चिट्ठी का अस्तित्व

कहां गये वह कागज के नीले पन्ने,

जिसमें लिखे जाते थे दिल के जज़वात,

पूछी जाती थी कुशलता की बातें

की जाती थी शुरूआत चरण वन्दना से,

बीच में लिखी होती पूरी जिन्दगी,

शब्दों में छिपा होता था प्रियतमा का दर्द,

पत्नी की सारी शिकायतों की कहानी

मां का दर्द भरा दुलार ,पिता का पैसा भेजने की गुहार,

लिखी जाती थी उसके गांव के सूखे की विभीषिका

या बाढ़ की भयानकता

पर अब तो इस डिब्बे को छू लो 

बस दो मिनिट का खेल है खोलो,पढ़ो ,लिखो और मिटा दो

सब कुछ सिमट गया जज़वात भी, याद भी,

और अपने आप में आदमी भी…

— डा. मधु आंधीवाल

डॉ. मधु आंधीवाल

पति - डा. सी.के. आंधीवाल जन्म तिथि- 3-1-1957 पता - 1/64 ,सुरेन्द्र नगर ,अलीगढ़ राजनीति भाजपा पार्टी 3 बार नगर निगम अलीगढ़ की पार्षद रही हूँ । सक्रिय राजनीति में हूँ । शिक्षा - एम.ए, बी.एड, एल.एल.बी, पी- एच डी साहित्यिक फेसबुक ग्रुपों में रचनाये, मोमस्प्रेसो में ब्लॉग , शीरोज एप पर रचनाये,हिन्दी प्रतिलिपि एप पर रचनाएँ ,दैनिक जागरण और स्वदेश समाचार पत्र ,प्रवासी संदेश बोम्बे, द ग्राम टुडे अन्य समाचार पत्रों में पत्र और रचनाएँ ,स्टोरी मिरर एप पर रचनाये लिखती हूँ और बहुत प्रशस्ति पत्र मिले हैं।दो काव्य संग्रहों में भी मेरी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हुआ है। madhuandhiwal53@gmail.com 9837382780