कुण्डली/छंद कुंडली सुरेश मिश्र 10/10/202310/10/2023 फूट-फूटकर रो रहे,कट्टर इमानदारटिकट बेंचने की कला,समझ न पाए यारसमझ न पाए यार,एक लाइन खैंचा हैदेश नहीं हमने तो बस वाइन बेचा हैकह सुरेश ऐसे पूंछों मत हमें कूटकररोवें संजय,जैन,केजरी फूट-फूटकर सुरेश मिश्र