कविता

यमराज मेरा यार

पिछले कुछ दिनों से मुझेयमराज की बहुत याद आ रही है,क्या करुँ बहुत दिनों सेउसकी बक बक सुनने को जो नहीं मिली है,आप तो मानोगे नहीं परमेरे कानों में सीटी सी बज रही है।अब आपके याद करने औरमेरे याद रखने में बहुत अंतर है,जिसे भूल से भी आप याद करना नहीं चाहतेवह मेरी याद से कभी दूर नहीं होता है।क्योंकि आप भ्रम का शिकार हैंकिसी का साया भी आपको उसके होने यमराज होने का बोध कराता है,जबकि वही साया मेरा यार बन सदैव ही मुझे मेरा यार यमराज लगता है।वो ही मेरे सबसे करीब होता हैमेरा सबसे बड़ा शुभचिंतक भी हैआज का मेरा सुरक्षा कवच भी है,जो हर सुख दुख में मेरे साथ होता है।अपने दिल की हर बात मुझसे साझा करता हैकिसी दुविधा में मेरी सलाह पर अमल करता है,मेरी रचनाओं का पहला श्रोता औरसबसे बड़ा समीक्षक भी वही है।यह अलग बात है उसकी भाषाआपको समझ नहीं आयेगी,क्योंकि वो मुझसे ही अनौपचारिक होता हैऔर सिर्फ मुझसे ही संवाद करता है।तभी तो उसे मैं याद करता हूं।चलिए! अब आप अपना काम कीजिएमैं यमराज को याद कर ही रहा थाअब वो आ ही रहा हैउसके आने का संकेत मुझे मिल रहा हैआगे का संवाद उसी से करता हूँकुछ भी हो मेरे घर आने वाला यमराज ही सहीपर वो मेरा यार भी और मेहमान भी है ,जब तक वो आता है तब तकमैं उसके जलपान का इंतजाम करता हूँ,आपसे मुलाकात के लिए आगे फिर कभी आपको याद करता हूं,और दिल से नमस्कार करता हूँआप याद करो न करो आपकी मर्जी हैफिलहाल तो ये वार्तालाप अब मैं यहीं बंद करता हूँऔर यमराज के आने की राह देखता हूँ।

*सुधीर श्रीवास्तव

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