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‘नवांकुरों के विकास के लिए अंतस् के प्रयास अनुकरणीय’ : उत्कृष्ट 51 वीं काव्य गोष्ठी

नायाब मोती, कोहिनूर चुन-चुन के बुलाये गये। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अशोक मैत्रेय जी (हापुड़) की अध्यक्षता और  सिद्ध-प्रसिद्ध ग़ज़लगो डॉ आदेश त्यागी(ग़ाज़ियाबाद) जी के मुख्य आतिथ्य में आयोजित यह गोष्ठी साधारण से हटकर रही। काव्य-जड़ित सार्थक चर्चा महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर हुई और एक विचार गोष्ठी का सुझाव नवनीत रूप में निकल के आया।

अंतस्-अध्यक्ष डॉ पूनम माटिया के संयोजन-संचालन में समय-अनुशासित यह गोष्ठी रात्रि 8 बजे से सटीक 10 बजे तक चली। सुंदर शब्द और भावों से सुसज्जित शारदे वंदना अपनी मधुर आवाज़ में प्रस्तुत की डॉ दमयंती शर्मा जी(मुंबई) ने।

‘शायरी, गीत, छंदों और कविताओं में प्रस्तुत भाव समयोचित एंव प्रासंगिक रहे’-ऐसा कहना था अध्यक्ष महोदय का। आपने कहा कि ‘नवांकुरों के विकास के लिए अंतस् के प्रयास अनुकरणीय हैं| साथ ही आपने सुंदर, सुनियोजित, सुसंचालित, स्तरीय काव्य गोष्ठी के लिए अंतस् की टीम, पूनम माटिया व सभी मित्र रचनाकारों को बधाई दी।

सर्वश्री कृष्ण कुमार दुबे, देवेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ नीलम वर्मा, रचना भाटिया निर्मल, डॉ उषा अग्रवाल, सुनीता राजीवसुशीला श्रीवास्तव तथा अन्य कवि-कवयित्रियों की भी शानदार प्रस्तुति रही ।

अंत में विधिवत धन्यवाद ज्ञापित किया डीपी सिंह जी ने। अपने उद्बोधन में गुरु की कृपा और सहित्य साधना पर बल देते हुए अंतस् के प्रयासों का ज़िक्र किया| साथ ही नेपथ्य में सक्रिय अंतस के संरक्षक श्री नरेश माटिया और तरंग माटिया के योगदान को भी रेखांकित किया| डॉ दिनेश कुमार शर्मा जैसे वरिष्ठ साहित्यकार तथा अन्य काव्य-रसिक श्रोताओं की उपस्थिति ने ऑनलाइन गोष्ठी को किसी अन्य कवि-सम्मलेन जैसा माहोल प्रदान किया| कुछ अशआर बतौर बानगी ……….
कलमकार की ज़िंदगी , बसी कलम में यार।/कलम बिकी तो मौत है, कलम थकी तो हार।।
……….डॉ अशोक मैत्रेय(हापुड़, उत्तरप्रदेश)
कब था असर ज़मीन,  जज़्बा या ज़बान  में/ पर  फिर भी  एक ख़ास बात थी  बयान  में
सब सुन रहे थे क्योंकि उस में तेरा ज़िक्र था/वरना  तो  क्या  धरा  था   मेरी  दास्तान  में

…………डॉ आदेश त्यागी(ग़ाज़ियाबाद, उ.प्र.)
रात-दिन नाम उसका ही जपना हुआ/ बंद आँखें खुलीं जब वो अपना हुआ
मुश्किलें हल हुईं, पथ सुगम हो गये/ राम की जब लगी लौ में तपना हुआ
………….डॉ. पूनम माटिया(दिल्ली)
तुम ऋचाओं से हमारे मन में हो/और सुवासित संदली से तन‌ में हो।
सीप में मोती सी आसक्ति लिए,/तन वसन में बस तुम्हारा वास है।
ध्येय तुम हो, तुम ही तो आराध्य हो/जन्म जन्मांतर मिलन की प्यास है।
प्रेम-भक्ति के हर सावन में हो।
………….डॉ दमयंती शर्मा ‘दीपा'(मुंबई)
पूछते हैं बारहा यूँ ही नहीं वो हाल-चाल/ सोचते हैं, राज़-ए-दिल शायद उगल जाये कभी
……………………………देवेंद्र प्रसाद सिंह(ग़ाज़ियाबाद, उ.प्र.)
जिस जहाँ में खुदा ने मुहब्बत भरी/ अब वहाँ आदमी ने सियासत भरी
दौलत-ए-रब ज़मीं पर हुई शर्मसार/ मुल्कों मुल्कों में कितनी है वहशत भरी
………………………………नीलम वर्मा(दिल्ली)
चल के पर्वत से धरातल पे बहा करती है/ फिर नदी जा के समंदर में मिला करती‌ है
……………………………..कृष्ण कुमार दुबे(कोलकाता, पश्चिम बंगाल)
प्यार को रास्ता दीजिए/ दिल से रंजिश मिटा दीजिए
झूठ जो बोलते हैं उन्हें/ हाथ में आइना दीजिए
……………
रचना निर्मल(दिल्ली)
बड़ी बेसब्र है दुनिया तुम्हें भुलाने को/और तुम  हो कि यादों की डोर थामे हो
देखो चढ़ते हुए सूरज ही पाते हैं नमन/ फिर तुम क्यों पुराने दिए जलाते हो?
…………………………….सुनिता राजीव(दिल्ली)
बताऊँ कैसे मैं शीतल पवित्र मन तेरा / हर इक अधर पे है भगवन यहाँ भजन तेरा
लबों पे सबके हैं गुणगान की सजी माला/कन्हैया एसा जगत में है बांकपन तेरा
…………………………….डॉ उषा अग्रवाल(छतरपुर, मध्यप्रदेश)
मन भाये दीया वही, जो माटी का होय/ निर्धन की झोली भरे, ग़ौर करो सब कोय
………………………………..सुशीला श्रीवास्तव(दिल्ली)

डॉ. पूनम माटिया

डॉ. पूनम माटिया दिलशाद गार्डन , दिल्ली https://www.facebook.com/poonam.matia poonam.matia@gmail.com