कविता

दीप

सुनो!
दीपों का त्यौहार आ रहा है
कुछ रोशनी
अपने अंदर भी कर लेना।

सुना है !
अंधकार बहुत है
तुम्हारे अंदर भी
तभी दिखता नहीं तुम्हें
औरों का व्यक्तित्व ।

मगर दिख जाता है
सत्य की रोशनी में
औरों को तुम्हारा अहम।

क्या मिट जाएगा ?
इस बार
दीपों की रोशनी में
तुम्हारा ज़िदी अहम।

— डाँ. राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233