कविता

मेरा जमाना

मुझे वो पगडंडियों
अब दिखती नहीं
जिन पर मैं चला करता था।

मुझे वो आम के बाग 
अब नहीं मिलते
जिन्हें देख न्नहे फूल मचलते थे।

मुझे वो नदियां
अब नहीं मिलती
जिनमें बाल- गोपाल नहाया करते थे।

मुझे वो सुकून की नींद
अब नहीं मिलती
जो माँ की गोद में आया करती थी।

— डॉ. राजीव डोगरा

*डॉ. राजीव डोगरा

भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा कांगड़ा हिमाचल प्रदेश Email- Rajivdogra1@gmail.com M- 9876777233