कविता

कविता – आगे बसंत

पियर-पियर सरसो फूले, पियर उड़े पतंग ,

पियर पगड़ी पहिर के, आगे ऋतु राज बसंत ।

अमरय्या मा आमा मयुरे कारी, कोयली कुहुकत हे ,

लाली-पियुरी परसा फूले, सबों के मन हा पुलकत हे ।

 सरर-सरर चले पुरवाही ,मन मयुर झूमें नाचे ,

 फागुन के फाग संग, सुग्घर डोल नगारा बाजे  ।

पातर -कवर गांव के गोरी, झुले कान के बाली ,

मया-पिरीत के बांधे, डोरी हंसी अऊ ठिठोली ।

मन भावन उत्साह ,अऊ उमंग ज्ञानी ,गुनी ,संत ,

मन मा खुशी  गजब ,सुग्घर लागे आगे बसंत ।

कतिक करव बखान ,तोर हे ऋतु  राज बसंत ,

तोर महीमा ल बताइन ,दिनकर ,वर्मा अऊ पंत । 

— डोमेन्द्र नेताम (डोमू )

डोमेन्द्र नेताम (डोमू )

मुण्डाटोला डौण्डीलोहारा जिला-बालोद (छ.ग.) मो.9669360301