कविता

मेरी खामोशी

माना कि खामोश रहने की मेरी आदत खराब है,
पर मैं तो ऐसा बिल्कुल नहीं मानता,
हाँ! आपको खामोशी की मेरी आदत
क्यों खराब लगती है मुझे नहीं पता
और न ही मैं जानना चाहता हूँ।
क्योंकि मुझे अपने पथ से भटकना नहीं है,
अपना समय व्यर्थ कर लक्ष्य से दूर नहीं जाना है।
बेवजह कहीं भी उलझना नहीं
वाद विवाद कर तनाव लेना या देना नहीं है
आपसी टकराव को भाव नहीं देना है
नियत परिणाम को दुष्परिणाम नहीं बनाना है,
शांति की सरहद पर अशांति का बम नहीं फोड़ना है।
अपनी खामोशी में आपका दखल बर्दाश्त नहीं है
आपकी बदनियत में मुझे फंसना नहीं है,
अपने संबंधों में कटुता का दाग़ नहीं लगाना है,
खामोशी के हथियार का परचम लहराना है
अपनी खामोशी का मुझे इतिहास बनाना है।
खामोशी को उचित मान सम्मान दिलाना है,
मुझे खामोशी को बहाना नहीं बनाना है
आपकी हर चाल को नाकाम करना है,
आपको आइना भी तो दिखाना है
अपने हर मसले का हल खामोशी से पाना है।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921