कविता

माँ शारदे कृपा कर दो

हे ज्ञान की देवी मातु शारदे
हम पर तनिक कृपा कर दो,
मुझ पर भी थोड़ी दया कर दो
हमको भी ज्ञान का वर दे दो
विद्या, वाणी का धन दे दो।
हे संगीत की देवी मैय्या
सुर, लय, ताल का वर दे दो,
और नहीं कुछ चाह मेरी मां
लोभ, मोह, मद मुक्त रह सकूं
ऐसा पावन मन कर दो।
न मैं चाहूँ सुख समृद्धि
बस विद्या, ज्ञान का धन दे दो।
छल प्रपंच से मुक्त रह सकूँ,
ऐसा निर्मल मन कर दो,
अहंकार से दूर रहूँ मैं
इतनी सी सद्बुद्धि दे दो।
कृपा आपकी बनी रहेगी
इतना सा आश्वासन दे दो,
सीधा साधा सरल रहे मन
भाव मेरे अंतस भर दो।
सदा मिले आशीष आपका
कृत्य मेरा ऐसा कर दो,
हर प्राणी अपना सा लगे
ऐसा पवित्र हृदय कर दो।
हे मातु शारदे और नहीं कुछ
चाहत है मेरे मन की,
विद्या और बुद्धि की देवी
आशीषों से मेरी झोली भर दो।
इतना सब कुछ माँग लिया
अब क्या माँगूं, डर लगता है,
इतनी कृपा और कर दो माँ
बस!हाथ मेरे सिर पर रख दो।

*सुधीर श्रीवास्तव

शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव, गोण्डा, उ.प्र.,271002 व्हाट्सएप मो.-8115285921