कविता

नवसंवत नववर्ष

नव विक्रम संवत्सर का दिन

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को आता। 

ग्रहों की उदय – अस्त की स्थिति

सूर्य – चंद्र के ग्रहण बताता।

कालगणना अनुकूल देश के 

मंगल कार्य, मुहूर्त सँवारे।

रहते हैं पंचांग आश्रित 

व्रत. पूजा, त्योहार हमारे। 

सृजित किया राष्ट्रीय कैलेंडर 

प्रोफेसर मेघनाथ जी साहा। 

नवसंवत्सर है वैज्ञानिक 

वासंती ऋतु कहती आहा। 

भारतीय संस्कृति से पोषित 

नवसंवत, नववर्ष मनाएँ ।

शुभकामना, बधाई देकर 

नव उमंग में, मंगल गाएँ। 

— गौरीशंकर वैश्य विनम्र

गौरीशंकर वैश्य विनम्र

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