ग़ज़ल
प्रतिभा के बंजारे बच्चे।
सूरज चांद सितारे बच्चे।
खेवनहारे की कृपा है,
चप्पु नहर किनारे बच्चे।
विद्या परिश्रम मंज़िल, देवे,
बेशक हैं बेचारे बच्चे।
सोने के तमगों को चूमें,
क्रीड़ा बीच उतारे बच्चे।
बीच जवानी परिश्रम करते,
लेते खूब नज़ारे बच्चे।
यौवन भीतर सुरभि देते,
जैसे सुमन कुंवरे बच्चे।
भारत की यह परिभाषा है,
भारत के यह सारे बच्चे।
धरती को खुशहाली देते,
निर्झर नद फुव्वारे बच्चे।
आज़ादी का पूर्ण उत्सव,
फूलों से श्रृंगारे बच्चे।
आज बालम का जन्म दिवस है,
लेकर आए गुब्बारे बच्चे।
— बलविन्द्रर बालम