कविता

अश्कों को अपने सजा के रखते हैं

अश्कों को अपने सजा के रखते हैं – हम अपनी पलकों पर

मुसकराते हैं लबों से मगर – आंसुओं को अपने गिरने नही देते

इन्तेहा यिह ही है हमारी मोहब्बत की – ज़िन्दगी में आप के लिये

गिले शिकव़े लाख हैं दिल में मगर – ज़ुबान को हम कहने नही देते

घूमते रहते हैं हम अकेले व़ीरानों में – अपने ग़मों को साथ ले कर

राज़ रखते हैं छुपा कर सीने में – दिल को किसी को बताने नही देते

बरबाद कर के रख दे गी हम को – यिह बे रुख़ी ही हमारे दिल की

पडे रहते हैं अकेले ही धर में – अपने आप को किसी से मिलने नही देते

बे ताब रहते हैं हम हमेशा ही – आप की बे दाद मोहब्बत में

ताज़ रखते हैं ज़ख्मों को कुरेद कर – हम इन को भरने ही नही देते

सबब क्या बताऐॅं हम दुनिया को – उनकी बे व़फ़ाई का

मोहर खामोशी की लगा रखी है – अपने लबों को कुछ कहने नही देते

बहुत बार चाहा बियान कर दें हम – दास्तान अपनी बे बससी की मदन

मगर क्या करें झूठ हम बोलते नही – और सच व़ोह कहने नही देते

मिलना दर्द का अपनों ही से – यह तो अब एक कहने की बात है

यादें जगा के रखती हैं दर्द को – और यादों को हम भूलने नही देते

— मदन

मदन लाल

Cdr. Madan Lal Sehmbi NM. VSM. IN (Retd) I retired from INDIAN NAVY in year 1983 after 32 years as COMMANDER. I have not learned HINDI in school. During the years I learned on my own and polished in last 18 months on my own without ant help when demand to write in HINDI grew from from my readers. Earlier I used to write in Romanised English , I therefore make mistakes which I am correcting on daily basis.. Similarly Computor I have learned all by my self. 10 years back when I finally quit ENGINEERING I was a very good Engineer. I I purchased A laptop & started making blunders and so on. Today I know what I know. I have been now writing in HINDI from SEPTEMBER 2019 on every day on FACEBOOK with repitition I write in URDU in my note books Four note books full C 403, Siddhi Apts. Vasant Nagari 2, Vasai (E) 401208 Contact no. +919890132570